Sri Kuldev Kulaswamini Chalisa | श्री कुलदेव कुलस्वामिनी चालीसा

Print Friendly, PDF & Email
Rate this post

।। श्री कुलदेव कुलस्वामिनी चालीसा।।
जय शिव दुलारा गौरी का प्यारा ।
विघ्न को हारा माया मे सहारा ।।१।।

जय जय जय गणों का अधिपती ।
मारे दुख को सुख का होवे पती ।।२।।

बुद्धी का दाता सदा रहे संकट का त्राता ।
दूर करे माया समृद्धी का धाता ।।३।।

जय जय जय सरस्वती माता ।
करे हंस सवारी विद्या की दाता ।।४।।

धारण करे कुल को देके सहारा ।
सुख देके इस ललन को संवारा ।।५।।

निधी का दाता दारिद्रय ऋण को दूर भगाता ।
सुकून देके शाप से मुक्त कराता ।।६।।

तुम अनाथ के नाथ सहाई ।
दिनन के तुम हो सदा सहाई ।।७।।

नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्त जनों के संकट तारे ।।८।।

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई ।
ता सम धन्य और नही कोई ।।९।।

जो तुम्हारे नित पांव पलोटत ।
आठो सिद्धी ताके चरणा मे लोटत ।।१०।।

सिद्धी तुम्हारी सब मंगलकारी ।
जो तुम पे जावे बलिहारी ।।११।।

जय जय जय कुलदेव कुलोद्धारी ।
सदा इस नन्दन को करे सुखधारी ।।१२।।

जय जय जय अनंत अविनाशी ।
कृपा करो तुम पुत्र के घटवासी ।।१३।।

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ।।१४।।

जय जय जय कुलस्वामिनी कुलपालान कारी ।
सदा दुःखहारी करत कृपा सबसे भारी ।।१५।।

जय जय जय माता कुलजननी ।
कुलधात्री माहेश्वरी तुही भवानी ।।१६।।

जय जय जय सत्त्व प्रकाशी तमो नाशी ।
जैसे सूरज धरती को प्रकाशी ।।१७।।

चारिक वेद प्रभु के साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ।।१८।।

तुम्हारी महिमा बुद्धी बढाई ।
शेष सहस्त्र मुख सके न गाई ।।१९।।

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहु कौन विधि विनय तुम्हारी ।।२०।।

अब प्रभु दया दीन पर कीजै ।
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।।२१।।

कलुआ भैरों संग तुम्हारे ।
अरीहित रूप भयानक धारे ।।२२।।

आशीर्वाद तुम्हारा बहुत ही हितकारी ।
चौसठ जोगन रहे आज्ञाकारी ।।२३।।

प्रेम सहित जो कीर्ति गावई ।
भव बंधन सो मुक्ति पावई ।।२४।।

कुळदेव कुलस्वामिनी की महिमा जो कोई पढे पढावै ।
ध्यान लगाकर सुने सुनावै ।।२५।।

ताके कोई रोग ना सतावै ।
पुत्र आदी धन संपत्ति पावै ।।२६।।

कुलधात्री सदा सकल सुख को भावई ।
इस भक्त के भाग्य को खुद लिखावै ।।२७।।

दया दृष्टी हेरो कुलदेव जगदंबा ।
केही कारण माता पिता कियो विलंबा ।।२८।।

करहु धारण कर्ता तुम रखवाली ।
जयती जयती पालन कर्ता तुम सब को पाली ।।२९।।

सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्ति भाव युती शरण तुम्हारी ।।३०।।

माय बाप ने दिया पुत्र को वरदान
दीन दुखारु भगत को करेंगे धनवान ।।३१।।

शिव मार्ताण्ड मल्हारी नाम तुम्हारा ।
इस भक्त को तेरा ही सहारा ।।३२।।

भवानी जगदंबा रामवरदायिनी नाम तुम्हारा ।
तीन काल में तेरा ही सहारा ।।३३।।

रक्षा करे भक्त की त्रिकाल ।
दूर भगादे दुःख का अकाल ।।३४।।

जो होई पीडा जादू टोणादि जहाल ।
नाश कर उसे कुलाधारी ऐसी करे धमाल ।।३५।।

प्रतिपदा चतुर्थी नवमी पौर्णिमा ।
सदा अमावस को पाठ करके देखे करिष्मा ।।३६।।

सदा ही कुळधारी रहे भगत के पीछे ।
रक्षा करके मेरी फल दे अच्छे से अच्छे ।।३७।।

सत्य भजन जो तेरे गावे ।
सो निश्चय चारों फल पावें ।।३८।।

सत्य आस मन में जो होई ।
मनवांचित फल पावे सोई ।।३९।।

धन्य जन्मभूमी का वो फूल है ।
जिसे कुलदेव कुलस्वामिनी की चरण की मिली धूल है ।।४०।।

।। श्री कुलस्वामिन्याअर्पणमस्तु ।।

Share it:

Related Posts

Leave a Comment